जय जय जय गणपति गणराजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥1॥ जय गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्घि विधाता॥2॥ वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥3॥ राजत मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥4॥ पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित […]
।।दोहा।। श्री गुरु चरण ध्यान धर, सुमिरि सच्चिदानन्द । श्याम चालीसा भणत हूं, रच चौपाई छंद ।। ।।चौपाई।। श्याम श्याम भजि बारम्बारा । सहज ही हो भवसागर पारा ।। इन सम देव ना दूजा कोई । दीन दयालु न दाता होई ।। भीमसुपुत्र अहिलवती जाया […]
॥ दोहा ॥ आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं बाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम् पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं ॥ चौपाई ॥ श्री रघुबीर भक्त हितकारी । सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥ निशि दिन ध्यान धरै […]
॥ दोहा॥ मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास । मनोकामना सिद्घ करि, परुवहु मेरी आस ॥ ॥ सोरठा॥ यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं । सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका ॥ ॥ चौपाई ॥ सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही । […]
दोहा श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार चौपाई जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥ राम […]